Bhagwat Puran Banane Ka Prayoojan aur Vishay Kya Hai
सभी भक्त जनों को मेरा प्रणाम जैसा कि कल के वीडियो में बात कर रहे थे कि राजा परीक्षित ने सुकदेव जी से १० प्रश्न किया थे
उनमें से 10 प्रश्नों को हमने कल के वीडियो में बताया था आज के वीडियो में हम बात करेंगे इसलिए श्री मद भागवत पुराण का प्रयोजन क्या है जैसा की विधियों द्वारा आरोप किया जाता है कि भागवत पुराण बनाने का कोई औचित्य नहीं है इसका कोई प्रयोजन नहीं है
तो हम जानते हैं की श्रीमद् भागवत पुराण का प्रयोजन क्या है और इसके विषय क्या है
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श्रीमद्भागवत का प्रयोजन क्या है इसका वर्णन भागवत पुराण के खंड 1 के दूसरे स्कंध में अध्याय 10 में बताया गया सुखदेव जी कहते हैं श्रीमद्भागवत 10 विषय वाला है या 10 प्रकार के विषयों पर विस्तार से समाधान करता इन 10 विषयों का वर्गीकरण इस प्रकार से है,
१, सर्ग, सर्ग क्या है इसमें ईश्वर द्वारा सृष्टि उत्पत्ति के क्रम में पंचमहाभूत तन मात्रा इंद्रिय अहंकार और महत्व आदि की उत्पत्ति का विस्तार से वर्णन किया गया
२, प्रतिसर्ग इस वर्ग में सृष्टि उत्पत्ति के बाद पदार्थ वस्तु मानव पशुओं को आदि अनेकों वस्तुओं की उत्पत्ति का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया,
३, स्थान, स्थान विषय का वर्णन है स्थान को देश कहा जाता है जैसे पृथ्वी आदि रहने योग्य देश में मानव द्वारा भगवान की श्रेष्ठता का भजन किया जाता है,
४, भगवान विष्णु द्वारा ही जड़ चेतन जिवो का पोषण किया जाता है इसमें भगवान विष्णु के विभिन्न चरित्रों का महिमा का वर्णन किया जाता,
५, मन्वंतर इसमें भगवत भक्ति तथा प्रजा के पालन में कार्यरत उक्त मंत्रों के अधिपत्य का वर्णन किया गया,
६, उक्ति मुक्ति में जीव ओ के जो अभिलाषा है जो जीवो को कर्म बंधन में डालती है इन्हें विषय की चर्चा की गई है,
७, ईश कथा इसमें भगवान के विभिन्न अवतारों और भगवान के भक्तों की कथाओं का वर्णन मिलता है,
८, निरोध इसमें भगवान के योग निद्रा निगमन होने पर जीवो की उपाधि सहित इस में लीन होना ध्यान आदि का वर्णन विस्तार से कही गई,
९, मुक्ति आत्मा का ज्ञान और कल्पित कर्तव्य भगत व आदि से युक्त आत्मा का भाव परित्याग करके अपने वास्तविक स्वरूप में परमात्मा में लीन होने का वर्णन किया गया
१०, आश्रम जगत की उत्पत्ति स्थिति पर आधारित कारण परमात्मा का वर्णन किया गया है इसमें मुख्य रूप से ईश्वर की ईश्वर के ही बारे में चर्चा की गई है
तो दोस्तों यह होते प्रयोजन जो श्रीमद्भागवत के पूरे के पूरे प्रयोजन है इन्हें आधार है जय श्री हरि
सुन्दरकाण्ड सर्ग 1 श्लोक 44-77,
प्रथम सर्ग 78 से 117,
Sarg shlok 139 se 161 in hindi,
हिरण्यक शिपु वंश प्रम्परा का वर्णन
4 vedo 18 Purano sahit 14 Vidhyavo Ka Vibhajan
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