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Garda Purana के अनुसार शिवरात्रि व्रत की कथा - Shiivratri Vrat Ka Mahatmay

 सभी भक्त जनों को मेरा प्रणाम आज हम शिवरात्रि व्रत की कथा के बारे में चर्चा करेंगे, यह व्रत बहुत ही महान और शुभ फलदाई है इस व्रत को करने से सभी प्रकार के पाप नाश हो जाते हैं और साधक को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है शिवरात्रि व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है। शिवरात्रि व्रत का वर्णन गरुड़ पुराण अचार कांड भाग 105 में किया गया है अतः इसे ध्यान पूर्वक सुने यह कथा शुरू करने से पहले आप सभी भक्तों से रिक्वेस्ट है कि मेरे चैनल को सब्सक्राइब करें और बैल आइ 




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इस कथा को भगवान शिव जी ने माता पार्वती से इस प्रकार कहा था प्राचीन समय में अरबुद देश में एक सुंदर नाम का पाप आत्मा निषाद राजा हुआ था एक बार वह आखेट करने जंगल में गया हुआ था वह अपने साथ अपने कुत्तों को भी लेकर गया था। जंगल में बहुत भटकने के बाद भी इसे कोई भी दिखाई नहीं पड़ा। और कोई भी जानवर शिकार करने को नहीं मिला तथा रात्रि भी होने लगी थी। जंगल में बहुत भटकने के बाद भी शिकार ना मिलने से वह निषाद भूख से व्याकुल हो रहा था वह रात्रि में भी भोजन की प्रतीक्षा में जलाशयों पहाड़ी वृक्ष लताओं के झुरमुट में भटकता रहकर रात्रि भर जागता रह गया वहीं पर इसे एक शिवलिंग का दर्शन हुआ 


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शिवलिंग के पास एक वृक्ष पर निढाल होकर गिर पड़ा इसी क्रम में उन वृक्षों से पत्ते टूट कर शिवलिंग पर गिरने लगे। इसने उन पत्तो को हटाया और जल से शिवलिंग के ऊपर लगे धूली को साफ किया इस प्रकार से करते हुए निषाद राजा के जनकारी हुए बिना ही उसके द्वारा शिवलिंग का स्नान स्पर्श पूजन और रात्रि जागरण भी संपन्न हो चुका था अगले दिन वह अपने घर गया पत्नी द्वारा भोजन ग्रहण किया और अपना शासन कार्य देखने लगा बहुत दिनों तक शासन करने के बाद जब उसका अंत समय आया तब उसे लेने भगवान शिव के घर आए हुए थे उनके साथ शिव लोक में गया वहां वह भगवान शिव का मुख्य पार्षद भी बनाया गया तो मित्रों यह कथा यहीं समाप्त होती है इस कथा से यह पता चलता है जाने अनजाने में भी इस व्रत को करने से अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं इस जन्म में भी सुख सुविधा प्राप्त होती है और अंत में भी परम गति मिलती है ओम नमः शिवाय

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